#नौजवानी_की_मौत
#नौजवानी_की_मौत
ये बात अटल सत्य है कि जो इस दुनिया में आया है उसको एक दिन मरना है।
और ये ऐसी हक़ीक़त है जिससे किसी को भी इनकार नहीं है - न धार्मिक लोगों को और ना ही नास्तिक को।
लेकिन नौजवानी की मौत बहुत दुःख देती है ।
बूढ़े कंधों पर नौजवान बेटे -पोते की लाश को उठाना दुनिया का सबसे भारी बोझ होता है।
नौजवानी, इंसान की ज़िंदगी का सबसे क़ीमती दौर होता है। इस उम्र में इंसान के पास ताक़त, जोश और नेक कामों को करने का बेहतरीन मौक़ा होता है।
लेकिन अफ़सोस आज हमारी नौजवान नस्ल इस फ़िक्र से कोसों दूर है।
आज हमारी युवा पीढ़ी रफ़्तार की सौदागर है।
आप अगर सड़कों पर चलते हुए बहुत चौकन्ना न रहें तो न जाने कब कौनसी बेक़ाबू बाइक आपको ठोकर मार कर चली जाए आपको इसका अंदाज़ा भी नहीं लगेगा।
शायद ही कोई दिन होगा के जब ऐसे हादसों की ख़बर
हमलोग नहीं सुन -पढ़ रहे हैं लेकिन इन हादसों से युवा पीढ़ी सीखने को तैयार नहीं है।
sad song अपने status में लगा कर फ़िर से वही हुड़दंड शुरू।
हादसों के अलावा भी नौजवान बीमारी से मर रहे हैं - जैसे हार्ट अटैक , कैंसर वगैरह से।
क्या हम इन मौतों से कुछ सीख हासिल कर रहे हैं?
नौजवानी में मौत हमें याद दिलाती है कि ज़िंदगी की कोई गारंटी नहीं है। इसलिए हर पल अल्लाह की याद में बिताना चाहिए और नेक आमाल (अच्छे काम) करने चाहिए।
हदीस में आता है:
"क़यामत के दिन सात किस्म के लोग अल्लाह के अर्श के साए में होंगे, उनमें एक वह नौजवान होगा जिसने अपनी जवानी अल्लाह की इबादत में गुज़ारी।"
सही बुखारी : हदीस 660
✍️ Wajid Khan
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