#संस्कृत विलुप्त क्यों हो रहा है?
उत्तराखंड के 117 मदरसों में पढ़ाई जाएगी संस्कृत ।
मैं इस फैसले का स्वागत करता हूं।
लेकिन दुर्भाग्य से संस्कृत ही एक मात्र भारतीय भाषा है जो अपने देश में भी बोलचाल की भाषा नहीं है।
आज संस्कृत भाषा सिर्फ़ शादी ,श्राद्ध एवं पूजा-पाठ तक ही सीमित है।
अगर आप ने लोगों को संस्कृत में बातचीत करते देखा हो तो बताएं।
जो भाषा न अपने देश में चलन में है और न विदेश में कहीं रोज़गार का अवसर देती है उस भाषा को थोपना कहां का इंसाफ है? यह फ़ैसला राजनीति से प्रेरित है और भावना का खेल है।
दुनिया की हर भाषा अपने मुल्क में आज भी चलन में है जैसे :
फ्रांस में "फ्रांसीसी"
चीन में "चीनी" भाषा
ईरान और अफगानिस्तान में "फ़ारसी"
गल्फ और कई अफ़्रीकी देशों में "अरबी"
तुर्की में "तुर्की" भाषा
जर्मनी में "जर्मन" भाषा
जापान में "जापानी" भाषा
रूस में "रूसी" भाषा।
अब भारत में अगर संस्कृत आम जन की भाषा नहीं है तो इसमें गलती किसकी है?
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