#नेकी_कर_दरिया_में _डाल
#नेकी_कर_दरिया_में_डाल
हमें अक्सर यह बात सुनने को मिलती है कि अब नेकी का ज़माना नहीं रहा। मैंने फलाँ शख्स या फलाँ रिश्तेदार के साथ हमेशा भलाई का मामला किया लेकिन उसने कभी भी मेरे साथ अच्छा सलूक नहीं किया, कभी मेरे बुरे वक़्त पर काम नहीं आया।
दोस्तों, बात तो सही है अक्सर लोग नेकी का बदला नेकी से नहीं देते या नजर ही बदल लेते हैं, जैसे पहचानते ही न हों। ऐसे हालात वाकई तकलीफदेह होते हैं। होना तो यह चाहिए कि हम एहसान का बदला एहसान से दें और कोशिश यह रहे कि हम और बेहतर तरीके से पेश आएँ। हमारा मज़हब भी हमें यही सिखाता है, लेकिन अक्सर ऐसा नहीं होता। फिर भी हमे दिल छोटा करने की जरुरत नहीं है।
याद रहे हमें हमेशा लोगों के साथ अच्छा सलूक करना है, अपना बेहतरीन अख़लाक़ पेश करना है चाहे ये मामला अपने किसी क़रीबी रिश्तेदार के साथ हो या किसी ग़ैर के साथ।
दिक्कत उस वक़्त होती है जब हम किसी इंसान से नेकी के बदले नेकी की उम्मीद लगा लेते हैं। याद रहे हर शख्स अपने जर्फ के मुताबिक ही पेश आएगा। हम दूसरों के actions और intentions (नियत) पर काबू नहीं पा सकते। हम सिर्फ अपने actions और intentions को ही कंट्रोल कर सकते हैं
इसलिए हमें ," नेकी कर दरिया में डाल " वाली कहावत पर अमल करना होगा।
हमें सब के साथ भलाई का मामला करना है और बदले की उम्मीद सिर्फ अल्लाह से रखना है और अल्लाह किसी की मेहनत को बेकार नही जाने देता। वह बेहतरीन बदला देने वाला है। इसलिए हमें चाहिये कि हम किसी से भी बदले की उम्मीद किए बग़ैर सब के साथ भलाई का मामला करें। हमारा रब बेहतरीन बदला देने वाला है।
अल्लाह हमें नेक समझ अता करे।
आमीन
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