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#नौजवानी_की_मौत

#नौजवानी_की_मौत  ये बात अटल सत्य है कि जो इस दुनिया में आया है उसको एक दिन मरना है। और ये ऐसी हक़ीक़त है जिससे किसी को भी इनकार नहीं है - न धार्मिक लोगों को और ना ही नास्तिक को। लेकिन नौजवानी की मौत बहुत दुःख देती है । बूढ़े कंधों पर नौजवान बेटे -पोते की लाश को उठाना दुनिया का सबसे भारी बोझ होता है। नौजवानी, इंसान की ज़िंदगी का सबसे क़ीमती दौर होता है। इस उम्र में इंसान के पास ताक़त, जोश और नेक कामों को करने का बेहतरीन मौक़ा होता है।  लेकिन अफ़सोस आज हमारी नौजवान नस्ल इस फ़िक्र से कोसों दूर है। आज हमारी युवा पीढ़ी रफ़्तार की सौदागर है। आप अगर सड़कों पर चलते हुए बहुत चौकन्ना न रहें तो न जाने कब कौनसी बेक़ाबू बाइक आपको ठोकर मार कर चली जाए आपको इसका अंदाज़ा भी नहीं लगेगा। शायद ही कोई दिन होगा के जब ऐसे हादसों की ख़बर हमलोग नहीं सुन -पढ़ रहे हैं लेकिन इन हादसों से युवा पीढ़ी सीखने को तैयार नहीं है। sad song अपने status में लगा कर फ़िर से वही हुड़दंड शुरू। हादसों के अलावा भी नौजवान बीमारी से मर रहे हैं - जैसे हार्ट अटैक , कैंसर वगैरह से। क्या हम इन मौतों से कुछ सीख हासिल कर रहे हैं? न...

#ख़ुद_को_टटोलने_की_कोशिश

#ख़ुद_को_टटोलने_की_कोशिश इन्सान को अपना चेहरा दिखाई नहीं देता है ,अगर इन्सान अपने चेहरे का जायज़ा लेना चहता है तो उसे  किसी आईने के सामने खड़ा होना पड़ता है। इसी तरह से फितरी तौर पर आदमी को अपनी गलती नजर नहीं आती है लेकिन कोई शख्स ख़ुद को जानना चाहे, अपनी कमियों को तलाशना चाहे और अपनी इस्लाह करना   चाहे तो उसको चाहिए कि ख़ुद को अपने दिल के आईने में झांक कर देखे। इंसान का दिल कभी झूठ नहीं बोलता और न ही किसी बात को छुपाता है। जो लोग अपनी इस्लाह की फिकर करते हैं वो अक्सर अपने बारे में अपने दिल से पूछते रहते हैं और दिल के फीडबैक को सीरियसली लेते हैं और ख़ुद को बेहतर बनाने की कोशिश करते रहते हैं। आदमी से तो गलतियां होती ही हैं, इससे कोई भी इंसान पाक नहीं है लेकिन अच्छा इंसान वो है जो अपनी गलती  पर शर्मिंदा हो कर तौबा कर ले।